tag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post4257732437443359708..comments2023-11-05T02:15:34.803-08:00Comments on Hathai : नंद भारद्वाजhttp://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-739205750953865692013-06-06T00:16:35.376-07:002013-06-06T00:16:35.376-07:00तहेदिल से शुक्रिया गीता जी। तहेदिल से शुक्रिया गीता जी। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-43792403278939400142013-06-06T00:04:05.608-07:002013-06-06T00:04:05.608-07:00स्त्री का जीवन यही है ... मनस्वी के रूप में आज की ...स्त्री का जीवन यही है ... मनस्वी के रूप में आज की स्त्री की व्यथा उकेरने में आपकी लेखनी सफल हुई है .. समर्थ होने के बावज़ूद अनमने मन से पलों को जीने की पीड़ा ,,,आह !!!! <br />स्त्री - मन का इतना मार्मिक चित्रण ...बधाई नंद सर ...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-39141501027841497412013-02-04T06:19:31.261-08:002013-02-04T06:19:31.261-08:00सबके अपने अपने सरोकार .. और उस में उलझ कर जाते हैं...सबके अपने अपने सरोकार .. और उस में उलझ कर जाते हैं .. फिर भी नायिका अपनी जिंदगी में भी व्यस्त रह कर भी इतनी उदास क्यूँ ... सच कहीं उसकी जिंदगी में कुछ शेष रह गया और वह भी ऐसा जिसे वह कभी नहीं पा सकती ....अनसुने रिश्तों की यह कहानी बहुत ही ह्रदयस्पर्शी है ... और बहुत जीवंत और उतनी ही रोचक ... नन्द जी को ढेर सारी शुभकामनाएं .. डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-46033877387577497372012-07-28T08:56:57.452-07:002012-07-28T08:56:57.452-07:00इस कहानी में आपने स्त्री की मनःस्थिति को बहुत ही ग...इस कहानी में आपने स्त्री की मनःस्थिति को बहुत ही गहराई से पकडा है और सहज प्रवाह में प्रस्तुत किया है। एक गम्भीर नदी के प्रवाह सा, पाठक उसमें बहने लगता है। जौवन के बदलते समीकरणों के साथ रिश्तों का बाहरी स्वरुप बदलता है मगर उनकी आत्मा वैसी ही रहती है। कहानी में यह बहुत ही प्रभावशाली तरीके से अभिव्यक्त हुआ है। <br />ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-51106539615436895882012-06-14T08:06:47.195-07:002012-06-14T08:06:47.195-07:00जीवनरूपी मूरहेन के रंगीन स्वप्निल पंखो के समूचे वि...जीवनरूपी मूरहेन के रंगीन स्वप्निल पंखो के समूचे वितान को फैलाने पसारने रचने रमने और उचटने तक की पूर्णता किसी भी व्यक्ति के स्वयं के अंतस के विवश अनमने अकेलेपन तक पहुँचने में ही उद्घाटित करती बेहद जीवंत कहानी ... बहुत सादगी से एक सरल प्रवाह में बहते हुए अंत तक बाँधे रखती है और पात्रो के साथ निशब्द बैठा कर ही मानती है ... एक बेहद संप्रेषणीय कथ्य और सहज भावपूर्ण शिल्प के लिए आपको बहुत बधाई ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-66629996593555587572012-06-13T07:03:32.633-07:002012-06-13T07:03:32.633-07:00सुन्दर कहानी.................
आपने गढ़ी और हमने रस...सुन्दर कहानी.................<br />आपने गढ़ी और हमने रस लेकर पढ़ी.....<br /><br />सादर<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-80399457663497810262012-06-09T23:53:42.134-07:002012-06-09T23:53:42.134-07:00kuchh rishte abole hee rah jaate hain.. mansvi aur...kuchh rishte abole hee rah jaate hain.. mansvi aur aanand ke rishta bilkul yatharth kii manobhoomi par racha gya hai.. na jaane kitne hee samvaad adhure chhoot jaate hain..jinki antim mulakat bhi tay nhi hoti..aur ek samay ke baad maansik judaav aur ek doosre ke prti samajh hee ek rishte kee prathmikta hoti hai chahe vah pati patni ka hee kyon na ho.. bahut sundar kahani hai..लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-75398511820285047952012-06-06T21:15:11.067-07:002012-06-06T21:15:11.067-07:00शुरू से अंत तक बांधे रखा मनस्वी और आनंद की आत्मीयत...शुरू से अंत तक बांधे रखा मनस्वी और आनंद की आत्मीयता और उनके रिश्ते के बदलते समीकरणों ने और उससे भी अधिक आपकी अभिव्यक्ति ने नंद सर!<br />आसरे, जीवारी, बिलम जैसे देशज शब्द सहज ही दिल लुभाते हैं।<br />कहानी में खो ही तो गई मैं!<br />"बस तुम उदास नहीं होना, मूर!“ यह बात कहते हुए मेरा स्वर बेहद आर्द्र हो गया था"<br />आनंद का यह वाक्य मुझे भी आर्द्र कर गया !<br />मनस्वी के चरित्र में आज की स्त्री दिखाई दी !<br />यह कहानी पढ़ना जिंदगी को जीना जैसा ही लगा। इस श्रेष्ठ कृति के लिए बधाई नंद सर!sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-16909936978238717802012-06-06T19:40:43.688-07:002012-06-06T19:40:43.688-07:00पूरी कहानी पढ़ी... सामान्यतया प्रिंट निकलकर पढता हू...पूरी कहानी पढ़ी... सामान्यतया प्रिंट निकलकर पढता हूँ, मगर आज सुबह-सुबह 'हथाई' पर पढ़ गया.. यही कहानी की बड़ी सफलता है..मानव मन की गुत्थियों को बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से खोलने में सफल हुए हैं आप.. स्त्री विमर्श की इस शानदार और भावपूर्ण कहानी के लिए बधाई...AAPNI BHASHA - AAPNI BAAThttps://www.blogger.com/profile/17994132474389727135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-399574878518426944.post-77329877096114293632012-06-06T06:34:34.113-07:002012-06-06T06:34:34.113-07:00बहुत अच्छी कहानी है. आज जीवन के समीकरण बदले हैं. अ...बहुत अच्छी कहानी है. आज जीवन के समीकरण बदले हैं. अरेंज मेरिज से प्रेम विवाह और आज सहजीवन..समाज में उनकी क्या अभिव्यक्ति है..<br />मानवीय संबंधों की जटिलता पर एक सुन्दर कहानी. बधाई सर !अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.com